छोटी कहानी इन हिंदी Motivational- फूल बेचने वाली लड़की

छोटी कहानी इन हिंदी Motivational- फूल बेचने वाली लड़की

छोटी कहानी इन हिंदी Motivational

छोटी कहानी इन हिंदी Motivational- फूल बेचने वाली लड़की

यह छोटी कहानी इन हिंदी Motivational एक छोटी सी लड़की के जीवन के प्रति उसके नजरिये के बारे मे है I एक छोटा सा शहर था जहाँ एक बड़ा और प्राचीन मंदिर था। उस मंदिर के बाहर, सुबह से लेकर शाम तक एक नन्ही सी लड़की, जिसकी उम्र मुश्किल से दस-बारह साल रही होगी, फूल बेचती थी। उसका नाम राधा था। वह हर दिन सुबह सूरज की पहली किरण के साथ वहाँ पहुँच जाती और अपने हाथों से माला बना कर लोगों को बेचती थी। राधा का चेहरा हमेशा खिला रहता था। उसके मासूम चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी, मानो वह दुनिया के सारे दुखों से अनजान हो।

लोग अक्सर सोचते, “इतनी छोटी सी उम्र में यह लड़की कैसे इतनी खुश रहती है?” कई लोग उसकी मुस्कान देखकर उससे फूल खरीद लेते थे, और वह बड़े ही प्रेम से सभी को धन्यवाद कहती। लेकिन किसी ने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि इतनी छोटी उम्र में उसे फूल बेचने की क्या ज़रूरत थी।

एक दिन, एक अमीर आदमी मंदिर में पूजा करने आया। उसने राधा की खिलखिलाती मुस्कान देखी और उससे पूछा, “बेटी, तुम इतनी छोटी उम्र मे फूल बेच रही हो, फिर भी इतनी खुश क्यों रहती हो? क्या तुम्हें किसी चीज़ की कमी नहीं महसूस होती?”

राधा ने अपनी चंचल आँखों में चमक लिए कहा, “बाबा, मेरी माँ कहती हैं कि खुशी किसी चीज़ से नहीं, दिल से आती है। मेरे पास माँ हैं, भाई हैं, और ये फूल भी। मुझे और क्या चाहिए?” यह छोटी कहानी इन हिंदी Motivational राधा के सकारात्मक नजरिये को दर्शाती है I

उस आदमी को उसकी बात सुनकर थोड़ी हैरानी हुई और उसने उससे उसके परिवार के बारे में पूछने का मन बना लिया। थोड़ी देर बातचीत के बाद पता चला कि राधा के पिता का देहांत बहुत पहले हो चुका था, और अब उसकी माँ बीमार रहती थीं। उसका छोटा भाई भी बीमार था, और उसकी देखभाल का जिम्मा राधा के छोटे कंधों पर था। यह सब जानकर उस अमीर आदमी का दिल भर आया।

अगले दिन जब वह आदमी फिर से मंदिर आया, तो उसने देखा कि राधा वहाँ नहीं थी। वह परेशान हो गया और उसने आस-पास के लोगों से उसके बारे में पूछा। किसी ने बताया कि राधा की माँ की तबीयत बहुत खराब हो गई है, और वह उनके पास है।

वह आदमी राधा के घर पहुंचा। वहां जाकर उसने देखा कि एक छोटी सी झोपड़ी में राधा अपनी माँ का हाथ थामे बैठी थी। उसकी माँ ने धीरे से कहा, “बेटी, तुझे इतनी छोटी उम्र में ये सब करना पड़ रहा है। मैं तुझे खुशियाँ नहीं दे पाई।”

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राधा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “माँ, खुशियाँ तो मेरे पास हैं। तुम्हारे साथ रहना ही मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी है। तुम्हारा आशीर्वाद मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है।”

यह बात सुनकर वह आदमी स्तब्ध रह गया। उसने देखा कि जो लड़की खुद गरीबी और दुःखों के बीच जी रही थी, वह कितनी सकारात्मक सोच रखती थी। उसकी खुशी का राज सिर्फ उसका संघर्ष और उसकी माँ का प्यार था।

इस घटना के बाद वह अमीर आदमी राधा और उसके परिवार की मदद करने का संकल्प लेकर वापस लौटा। उसने राधा की माँ का इलाज करवाया और राधा की पढ़ाई का इंतजाम भी किया।

कहानी का अंत यहीं नहीं होता। राधा ने वर्षों बाद न सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि उस मंदिर के पास ही एक बड़ा व्यवसाय भी खोला, और अब अपने परिवार के साथ एक बेहतर ज़िंदगी जीती है। उसकी मुस्कान अभी भी वैसी ही थी, क्योंकि उसने खुशियों का असली राज समझ लिया था – खुशियाँ पैसे से नहीं, दिल से आती हैं।

संदेश: सच्ची खुशी पाने के लिए हमें बाहरी चीज़ों की नहीं, अपने अंदर की संतुष्टि और अपने परिवार के प्यार की ज़रूरत होती है। कठिन परिस्थितियों में भी अगर इंसान दिल से खुश रहना सीख ले, तो उसकी मुस्कान कभी नहीं मिटती।

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