Stories for children-दिव्य माणिक और साहसी बालक

  Stories for children-दिव्य माणिक और साहसी बालक

Stories for children
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Stories for children-दिव्य माणिक और साहसी बालक

यह Stories for children पढ़ कर आप सभी को बहुत मजा आयेगा I बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक गरीब लेकिन साहसी बालक रहता था। अर्जुन के माता-पिता नहीं थे, और वह अपनी छोटी बहन के साथ गाँव में अकेला रहता था। गाँव वाले अर्जुन को बहुत पसंद करते थे क्योंकि वह बहुत ही मददगार और दयालु था। लेकिन अर्जुन के दिल में एक सपना था—उसका गाँव बहुत ही गरीब था, और वह चाहता था कि किसी तरह से उसे कोई ऐसा खज़ाना मिले, जिससे उसका गाँव फिर से समृद्ध हो जाए। यह Stories for children अर्जुन की अपने गाँव की समृद्धि के प्रति सकारात्मक नजरिये को दर्शाता है I

गाँव में एक पुरानी किंवदंती थी कि पहाड़ों के पार एक दिव्य माणिक छिपा हुआ है। यह माणिक कोई साधारण रत्न नहीं था; कहा जाता था कि जो भी इस माणिक को पा लेगा, उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो जाएंगी। लेकिन माणिक तक पहुंचना आसान नहीं था। माणिक को पाने के लिए कई खतरों से गुजरना पड़ता था, और इसलिए कोई भी इसे पाने की हिम्मत नहीं करता था।

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एक दिन अर्जुन ने ठान लिया कि वह इस माणिक की तलाश में जाएगा। उसे पता था कि अगर वह माणिक पा लेता है, तो वह न सिर्फ अपने गाँव को समृद्ध बना सकता है, बल्कि अपने लोगों की जिंदगी भी बदल सकता है। उसने अपनी बहन से वादा किया कि वह जल्दी लौटेगा और फिर वह अकेले ही उस यात्रा पर निकल पड़ा। इस Stories for children मे अर्जुन के दृढ़ निश्चयी होने का पता चलता है I

अर्जुन को पता था कि पहाड़ों तक पहुँचने के लिए उसे घने जंगलों से गुजरना होगा। इस Stories for children मे पहले दिन ही उसे जंगल में बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा। एक विशालकाय भालू अचानक उसके सामने आ गया। भालू उसे देखकर दहाड़ने लगा, लेकिन अर्जुन ने डरने के बजाय भालू की आँखों में सीधे देखा और कहा, “मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। मैं सिर्फ अपने गाँव को बचाने के लिए इस यात्रा पर निकला हूँ।” अर्जुन की निडरता और सच्चाई ने भालू का दिल पिघला दिया। भालू ने अर्जुन को जंगल पार करने का सुरक्षित रास्ता दिखाया और उसे आशीर्वाद दिया।

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जंगल पार करते ही अर्जुन पहाड़ों के पास पहुंचा। वहाँ की हवाएँ बहुत तेज थीं और रास्ता बहुत ही खतरनाक। पहाड़ की चोटी तक पहुंचने के लिए उसे एक खतरनाक पुल पार करना था, जो टूटने के कगार पर था। अर्जुन ने अपने डर को काबू में रखा और धीरे-धीरे, अपनी हर एक कदम को सोच-समझकर रखते हुए पुल पार कर लिया। उसकी साहसिकता ने उसे आगे बढ़ने का और हौंसला दिया।

जब अर्जुन पहाड़ की चोटी पर पहुँचा, तो उसे सामने एक गुफा दिखाई दी। गुफा के अंदर घोर अंधकार था। कहा जाता था कि गुफा के अंदर एक राक्षस रहता है जो माणिक की रक्षा करता है। अर्जुन ने बिना समय गवाए गुफा के अंदर कदम रखा। अंधेरे में उसने महसूस किया कि कोई उसकी ओर बढ़ रहा है। तभी एक गहरी आवाज गूँजी, “तुम यहाँ क्या करने आए हो, बालक? इस माणिक तक पहुँचने की हिम्मत किसी ने नहीं की।”

अर्जुन ने बिना डरे कहा, “मैं यहाँ माणिक लेने आया हूँ ताकि अपने गाँव को बचा सकूं। मैं जानता हूँ कि इस माणिक की शक्ति बहुत बड़ी है, लेकिन मैं इसका उपयोग किसी स्वार्थी उद्देश्य के लिए नहीं करूँगा। मैं इसे अपने लोगों के भले के लिए चाहता हूँ।”

राक्षस अर्जुन की सच्चाई से प्रभावित हुआ। उसने कहा, “तुम्हारे जैसा साहसी और निःस्वार्थ बालक मैंने पहले कभी नहीं देखा। लेकिन माणिक पाना इतना आसान नहीं है। तुम्हें इसे पाने के लिए आखिरी परीक्षा देनी होगी।”

अर्जुन ने बिना हिचकिचाए कहा, “मैं हर परीक्षा के लिए तैयार हूँ।”

राक्षस ने अर्जुन को एक मुश्किल सवाल दिया, जिसमें उसे यह तय करना था कि वह माणिक से क्या मांगेगा: अपनी खुद की खुशहाली या अपने गाँव की भलाई। अर्जुन ने बिना सोचे-समझे कहा, “मैं अपने गाँव के लिए ही यह माणिक चाहता हूँ। मुझे खुद के लिए कुछ भी नहीं चाहिए। मेरे गाँव के लोग खुशहाल होंगे, तो वही मेरी असली खुशी होगी।”

राक्षस अर्जुन के उत्तर से बहुत प्रभावित हुआ और कहा, “तुमने अपनी निःस्वार्थता और साहस से यह माणिक पाने के योग्य साबित किया है।” उसने अर्जुन को दिव्य माणिक सौंप दिया और कहा, “यह माणिक तुम्हारे गाँव को समृद्ध करेगा, लेकिन याद रखना, इसका उपयोग हमेशा अच्छे कामों के लिए ही करना।”

अर्जुन माणिक लेकर खुशी-खुशी अपने गाँव लौट आया। गाँव के लोग अर्जुन को देखकर बहुत खुश हुए। जब उन्होंने अर्जुन के माणिक के बारे में सुना, तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। अर्जुन ने माणिक से अपने गाँव की सारी समस्याएँ हल कर दीं—वहाँ फिर से हरियाली छा गई, फसलें भरपूर होने लगीं, और गाँव समृद्ध हो गया।

गाँव के लोग अर्जुन की बहादुरी और निःस्वार्थता के लिए उसकी पूजा करने लगे। लेकिन अर्जुन ने हमेशा सिखाया कि असली माणिक बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर होता है—सच्चाई, निःस्वार्थता, और साहस का माणिक। अगर हम इन गुणों को अपने अंदर पालें, तो कोई भी मुश्किल हमारे सामने टिक नहीं सकती।

इस तरह अर्जुन की साहसिक यात्रा और उसकी सच्चाई ने न केवल गाँव को बचाया, बल्कि एक ऐसा उदाहरण भी पेश किया कि जब इरादे नेक हों और दिल में सच्चाई हो, तो कोई भी माणिक पाया जा सकता है।

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